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Showing posts from March 28, 2017

एक कविता.. ख्वाहिश् नही

26/03/17, 10:36 PM - Messages you send to this group are now secured with end-to-end encryption. Tap for more info. 27/03/17, 4:50 AM - Sriraspradnya SHS: 💮 _*हरिवंशराय बच्चन की एक सुंदर कविता*_ ... *खवाहिश नही मुझे मशहूर होने की*। *आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है*। *अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे*। *क्यों कि जिसकी जितनी जरुरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे*। *ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब है*, *शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे हैं*....!! *एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी*, *जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं*, *और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं*। *बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर*... *क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है*.. *मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा*, *चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना*।। *ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है* *पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है* *जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने* *न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले* .!!. *